A Simple Key For वशीकरण मंत्र किसे चाहिए Unveiled



निष्क्रियता: मंत्र का उच्चारण करने के बाद, आपको सक्रियता से दूर रहना चाहिए। इसके बाद शांतिपूर्वक ध्यान में बैठें और अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिए प्रभावित होने की कोशिश करें।

काला कलुवा चौंसठ वीर ताल भागी तोर जहां को भेजूं वहीं को जाये मांस मज्जा को शब्द बन जाये अपना मारा, आप दिखावे चलत बाण मारूं उलट मूंठ मारूं मार मार कलुवा तेरी आस चार चौमुखा दीया मार बादी की छाती इतना काम मेरा न करे तो तुझे माता का दूध पिया हराम।

यंत्र को बनाने का तरीका और इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजे इसके महत्त्व को बढ़ा देती है.

ॐ मोहिनी मोहिनी कहाँ चली, हरखु राई कां मचली

यदि उसे आँख खोलने पर दिखाई न दे, अर्थात् वह किसी ऐसी जगह हो, जहाँ विला जाए, उसे देखा नहीं जा सकता तो पैरों से भी काम लेना होगा। किसी किसी काम में हाथ, पैर, आंख, कान आदि सभी इन्द्रियों का काम आ पड़ता है। किसी में केवल बुद्धि का और किसी में केवल आत्मा का।

साधक तीन पान का बीड़ा लेकर तीनों को इक्कीस इक्कीस बार अभिमन्त्रित करे और एक-एक करके जिस भी स्त्री को खिलायेगा, पहला पान खाकर वह स्त्री मित्रता करेगी। दूसरा पान शारीरिक सम्बन्ध बनायेगी और तीसरा पान खा लेने के बाद साधक के अलावा कभी किसी के बारे में सपने में भी नहीं सोचेगी। यह अति प्रबल वशीकरण प्रयोग है।

(वश करने वाले का नाम) को लाग लाग री मोहिनी, तुझे भैरों की आन!!

ध्यान और शुद्धि: मंत्र का उच्चारण करने से पहले, आपको मन को शांत करना चाहिए। ध्यान या मेधावी आवस्था में प्रवेश करने के लिए ध्यान करें। अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए स्नान और पवित्रता का अनुसरण करें।

पुष्प वशीकरण, में फूलों के जरिए किसी व्यक्ति को अपने वश में किया जाता है। अधिकांश मामले में यह मंत्र प्रेमी प्रेमिका के ऊपर प्रयोग किया जाता है। इससे उनके भीतर प्रेम जाग जाता है।

कामाख्या वशीकरण मंत्र का उच्चारण और उसके प्रयोग की प्रक्रिया की समझ के लिए व्यक्ति को समाप्त ज्ञान, निष्काम भावना, और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

इस मन्त्र को किसी शुभ मुहूर्त में सवा लाख जप करके सिद्ध कर लें। फिर प्रयोग करते समय फूल को एक सौ आठ बार अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री के सिर पर डाला जायेगा, वह साधक पर पूरी तरह से मोहित हो जाती है। अमुकीं के स्थान पर साध्य स्त्री का नाम लें।

ॐ नमो आकाश की योगिनी पातालनाग, उठि हनुमंत जी ‘फलानी’ को लाग, परै न निद्रा बैठे न सुख, जोबो देखे न मेरो मुख, तब तक नहिं परै हिये में सुख, लाऊ जो वाकू पियो, मोहि दीखै ठण्डी हो जाय, आवत न काहू दिखाय, आउ आउ मेरे आगे लाउ, न लावै तो गुरु गौरखनाथ की आन।

विधि: इस मंत्र को किसी शुभ मुहूर्त में अपनी क्षमता अनुसार जप करके सिद्ध कर लें। इसके बाद, प्रयोग के समय शुक्रवार को एक पुष्प लें और मंत्र का सात बार उच्चारण करके उसे अभिमंत्रित करें। जिस स्त्री पर यह read more फूल डाला जाएगा, वह मंत्र के प्रभाव से मोहित हो जाएगी।

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